फैसोर आरेख क्या है? जानिए यह विद्युत धारा और वोल्टेज का परिमाण व चरण दिखाने का ग्राफिक तरीका कैसे है, जिससे एसी सर्किट के विश्लेषण में मदद मिलती है।
फेसर आरेख क्या है?
फेसर आरेख (Phasor Diagram) एक विजुअल टूल है जिसका उपयोग विद्युत प्रणालियों में वैक्टर क्वांटिटी को दर्शाने के लिए किया जाता है, विशेष रूप से एसी (AC) सर्किट में। यह साइनसोइडल तरंगों का ग्राफिकल प्रतिनिधित्व है जो कि उनकी एम्प्लिट्यूड (amplitude), फ़ेज़ (phase) और कोणीय वेलोसिटी (angular velocity) को दर्शाता है।
फेसर की परिभाषा
फेसर एक कॉम्प्लेक्स नंबर है जो साइनसोइडल फंक्शन की मैग्निट्यूड और फ़ेज़ को दर्शाता है। यह आमतौर पर एक तीर (arrow) के रूप में प्रदर्शित किया जाता है। faceर का प्रतिनिधित्व निम्नलिखित प्रकार से किया जा सकता है:
- मैग्निट्यूड (Magnitude): यह तीर की लंबाई है जो साइनसोइडल वेव की उच्चता (amplitude) को प्रतिनिधित्व करता है।
- एंगल (Angle): यह तीर का कोण है जो कि मूल रेखा (reference axis) से बनता है, और जो साइन्सोइडल वेव का फ़ेज़ अंतर (phase difference) को दर्शाता है।
फेसर आरेख का निर्माण
फेसर आरेख को बनाने के लिए, कई फेसर तीरों को एक ग्राफ पर खींचा जाता है। इन तीरों के माध्यम से हम विभिन्न वैक्टर क्वांटिटी जैसे वोल्टेज और करेंट को आसानी से तुलना कर सकते हैं। आइए देखते हैं कुछ महत्वपूर्ण बिंदु:
- फेसर के घटक: अधिकांश फेसर में दो घटक होते हैं: वास्तविक भाग (real part) और काल्पनिक भाग (imaginary part)।
- फेसर का योग: फेसर का योग करने का एक सरल तरीका है कि प्रत्येक फेसर के वास्तविक और काल्पनिक भागों का जोड़ निकाला जाए।
- फेसर की घूर्णन: किसी भी साइनसोइडल फंक्शन की कोणीय वेलोसिटी ω है, जो कि समय के साथ घूर्णन करती रहती है।
उदाहरण
मान लीजिए हमारे पास दो साइनसोइडल वेव हैं:
V1(t) = Vmcos(ωt + φ1)
V2(t) = Vmcos(ωt + φ2)
इन फेसर को एक कॉम्प्लेक्स प्लेन में इस प्रकार प्रतिनिधित्व कर सकते हैं:
V1 = Vm∠φ1
V2 = Vm∠φ2
जब इन दोनों फेसरों को एक फेसर आरेख में खींचते हैं, तो उनके तीर क्रमशः φ1 और φ2 कोण पर बनते हैं।
निष्कर्ष
फेसर आरेख बिजली के इंजीनियरिंग के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपकरण है, विशेषकर एसी सर्किट के विश्लेषण में। यह हमें साइनसोइडल तरंगों के बीच के सम्बंधों को सरल और स्पष्ट तरीके से समझने और तुलना करने की सुविधा प्रदान करता है।